बन्दर की करामात
सुरेंद्र मोहन पाठक
सुनील के मित्र जुगल उर्फ बन्दर के एक निर्दोष एडवेंचर प्रतीत होने वाली एक करामात से ऐसी स्थिति पैदा हो गई कि सुनील को लगा जैसे उसके गले और फांसी के फन्दे में थोड़ा ही फासला रह गया था !
年:
1967
语言:
hindi
页:
135
系列:
सुनील #१७
文件:
EPUB, 330 KB
IPFS:
,
hindi, 1967